यूपी की कुर्सी पर कौन कमान सम्भालेगा ?
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की एतिहासिक जीत के
बाद हर कोई एक ही सवाल पूछ रहा है. यूपी का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? बीजेपी पार्टी भी इस सवाल में उलझी सी नजर आ रही
है. क्योंकि सीट एक है और इस पद के अनेक दावेदार जो अपने अाप में अच्छी छवि रखते है
राजनाथ सिंह योगी आदित्यनाथ,
मनोज सिन्हा, केशव प्रसाद मौर्य या कोई और ? यूपी में प्रचंड जीत के बाद बीजेपी के सामने अब मुख्यमंत्री का नाम तय करने की
चुनौती है. जितनी बड़ी जीत है सीएम के दावेदारों की लिस्ट भी उतनी ही लम्बी है देखना ये है की असल दावेदार कौन है?
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मार्च को लखनऊ में बीजेपी की विधायकों की
बैठक है जिसमें पर्यवेक्षक के तौर पर वेंकैया नायडू और भूपेंद्र यादव को शामिल
होना है. लेकिन इस बैठक में भी किसी नाम पर मुहर नहीं लगेगी. दोनों पर्यवेक्षक
अपनी रिपोर्ट अमित शाह को देंगे जिसके बाद नाम पर फैसला होगा.
फिलहाल इस रेस में राजनाथ सिंह का नाम सबसे
ऊपर बताया जा रहा है. कोयंबटूर में आरएसएस के नेताओं की बैठक में भी राजनाथ सिंह
सहित बाकी नामों पर चर्चा होने की खबर है. राजनाथ इस रेस में सबसे ऊपर इसलिए हैं
क्योंकि एक तो वो अनुभवी हैं दूसरे पार्टी में उनके नाम पर कोई विरोध नहीं होगा.
पहले भी वो यूपी के सीएम रह चुके हैं. राजपूत जैसी प्रभावशाली जाति से आते हैं.
चुनाव में राजपूतों ने बीजेपी को झोली भरकर वोट किया है.
हालांकि राजनाथ के नाम पर माइनस प्वाइंट ये
है कि वो खुद दिल्ली से लखनऊ नहीं जाना चाहते. कई बार मीडिया को मना कर चुके हैं.
रक्ष मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर के गोवा चले जाने से दिल्ली में एक बड़ी खाली हो
चुकी है और राजनाथ भी दिल्ली छोड़ देते हैं तो मोदी कैबिनेट में बड़े पदों को बड़े
लोगों से भरना बड़ी चुनौती बन सकती है.
इस रेस में दूसरा बड़ा नाम केंद्रीय संचार
मंत्री मनोज सिन्हा का है. मनोज सिन्हा गाजीपुर से सांसद हैं. मोदी सरकार में
स्वतंत्र प्रभार के संचार मंत्री हैं. रेल राज्यमंत्री की भी जिम्मेदारी इनके पास
है. दो बार पहले भी सांसद रह चुके हैं.
सीएम बनने के लिए प्लस प्वाइंट ये है कि साफ
और ईमानदार छवि के माने जाते हैं. मोदी और अमित शाह के करीबी भी हैं. माइनस
प्वाइंट ये है कि जिस भूमिहार जाति से आते हैं उसकी आबादी प्रदेश में महज एक दो
फीसदी भर है. लेकिन पार्टी ने अगर जाति के गणित पर अनुभव और काम को तरजीह दी तो
मनोज सिन्हा की लॉटरी लग सकती है.
इसके अलावा गोरखपुर के सांसद आदित्यनाथ का
नाम भी सीएम की रेस में प्रमुखता से लिया जा रहा है. योगी के समर्थक तो चुनाव से
पहले से ही योगी को अपना सीएम घोषित कर चुके हैं.
कट्टर छवि और विवादित चेहरा होने की वजह से
आदित्यनाथ के नाम पर पार्टी को एतराज हो सकता है. पार्टी ने अगर प्रयोग को
प्राथमिकता दी तो फुलपूर के सांसद और प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य की भी
लॉटरी निकल सकती है.
केशव उस पिछड़ी जाति से आते हैं जो अब बीजेपी
को वोट बैंक बनता जा रहा है. इसके अलावा सतीश महाना, सुरेश खन्ना जैसे पुराने विधायकों के नाम भी हवा में हैं. इसलिए इंतजार कीजिए
कि देश के सबसे बड़े प्रदेश की जिम्मेदारी किसके हाथ में आती है.