Tuesday 14 March 2017

मुख्यमंत्री बनने के आसार: केशव मौर्य

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चल रहे कयासियो के बीच प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य आज पीएम मोदी से मुलाकात की.जहा तक यूपी के सीएम के नाम को लेकर पार्टी अभी तक कोई आखिरी निर्णय पर कोई फैसला नही ले पायी है. सारे न्यूज चैनलो में चल रहे नामों में केशव प्रसाद मौर्य का नाम भी शामिल है.
केशव प्रसाद मौर्य के अलावा रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा,योगी आदित्यनाथ व गृह मंत्री राजनाथ सिंह का नाम भी शामिल है. सूत्रो के मुताबिक  मुख्यमंत्री के नाम के चयन को लेकर काफी सावधानी बरती जा रही है. बीजेपी ऐसे चेहरे की तलाश में जुटि है जिसकी उम्र कम हो और आगामि चुनाव तक राजनीति कर सके

फिलहाल मुख्यमंत्री के चयन का काम भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के जिम्मे हैं लेकिन मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चयन में संघ परिवार की भूमिका भी अहम रहेगी. यूपी में भाजपा के नये मंत्रिमंडल में कई नये चेहरे दिखने की संभावना हैं. इनमें श्रीकांत शर्मा व स्वाति सिंह भी शामिल है.

यूपी की कुर्सी पर कौन कमान सम्भालेगा ?


उत्तर प्रदेश में बीजेपी की एतिहासिक जीत के बाद हर कोई एक ही सवाल पूछ रहा है. यूपी का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? बीजेपी पार्टी भी इस सवाल में उलझी सी नजर आ रही है. क्योंकि सीट एक है और इस पद के अनेक दावेदार जो अपने अाप में अच्छी छवि रखते है 
राजनाथ सिंह योगी आदित्यनाथ, मनोज सिन्हा, केशव प्रसाद मौर्य या कोई और ? यूपी में प्रचंड जीत के बाद बीजेपी के सामने अब मुख्यमंत्री का नाम तय करने की चुनौती है. जितनी बड़ी जीत है सीएम के दावेदारों की लिस्ट भी उतनी ही लम्बी है देखना ये है की असल दावेदार कौन है?
16 मार्च को लखनऊ में बीजेपी की विधायकों की बैठक है जिसमें पर्यवेक्षक के तौर पर वेंकैया नायडू और भूपेंद्र यादव को शामिल होना है. लेकिन इस बैठक में भी किसी नाम पर मुहर नहीं लगेगी. दोनों पर्यवेक्षक अपनी रिपोर्ट अमित शाह को देंगे जिसके बाद नाम पर फैसला होगा.
फिलहाल इस रेस में राजनाथ सिंह का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है. कोयंबटूर में आरएसएस के नेताओं की बैठक में भी राजनाथ सिंह सहित बाकी नामों पर चर्चा होने की खबर है. राजनाथ इस रेस में सबसे ऊपर इसलिए हैं क्योंकि एक तो वो अनुभवी हैं दूसरे पार्टी में उनके नाम पर कोई विरोध नहीं होगा. पहले भी वो यूपी के सीएम रह चुके हैं. राजपूत जैसी प्रभावशाली जाति से आते हैं. चुनाव में राजपूतों ने बीजेपी को झोली भरकर वोट किया है.
हालांकि राजनाथ के नाम पर माइनस प्वाइंट ये है कि वो खुद दिल्ली से लखनऊ नहीं जाना चाहते. कई बार मीडिया को मना कर चुके हैं. रक्ष मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर के गोवा चले जाने से दिल्ली में एक बड़ी खाली हो चुकी है और राजनाथ भी दिल्ली छोड़ देते हैं तो मोदी कैबिनेट में बड़े पदों को बड़े लोगों से भरना बड़ी चुनौती बन सकती है.
इस रेस में दूसरा बड़ा नाम केंद्रीय संचार मंत्री मनोज सिन्हा का है. मनोज सिन्हा गाजीपुर से सांसद हैं. मोदी सरकार में स्वतंत्र प्रभार के संचार मंत्री हैं. रेल राज्यमंत्री की भी जिम्मेदारी इनके पास है. दो बार पहले भी सांसद रह चुके हैं.
सीएम बनने के लिए प्लस प्वाइंट ये है कि साफ और ईमानदार छवि के माने जाते हैं. मोदी और अमित शाह के करीबी भी हैं. माइनस प्वाइंट ये है कि जिस भूमिहार जाति से आते हैं उसकी आबादी प्रदेश में महज एक दो फीसदी भर है. लेकिन पार्टी ने अगर जाति के गणित पर अनुभव और काम को तरजीह दी तो मनोज सिन्हा की लॉटरी लग सकती है.
इसके अलावा गोरखपुर के सांसद आदित्यनाथ का नाम भी सीएम की रेस में प्रमुखता से लिया जा रहा है. योगी के समर्थक तो चुनाव से पहले से ही योगी को अपना सीएम घोषित कर चुके हैं.
कट्टर छवि और विवादित चेहरा होने की वजह से आदित्यनाथ के नाम पर पार्टी को एतराज हो सकता है. पार्टी ने अगर प्रयोग को प्राथमिकता दी तो फुलपूर के सांसद और प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य की भी लॉटरी निकल सकती है.
केशव उस पिछड़ी जाति से आते हैं जो अब बीजेपी को वोट बैंक बनता जा रहा है. इसके अलावा सतीश महाना, सुरेश खन्ना जैसे पुराने विधायकों के नाम भी हवा में हैं. इसलिए इंतजार कीजिए कि देश के सबसे बड़े प्रदेश की जिम्मेदारी किसके हाथ में आती है.


यूपी में भाजपा को मुसलमानों के वोट मिलने पर सवाल क्यों?


बसपा प्रमुख मायावती और सपा के पूर्व सीएम अखिलेश यादव को अपनी पार्टी की हार से ज्यादा इस बात की चिंता है कि यूपी में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में भाजपा की जीत कैसे हो गई? चुनाव परिणाम से पहले इन दोनों नेताओं का यही मानना था कि मुसलमान कभी भी भाजपा को वोट नहीं देगा। इसीलिए प्रचार के दौरान मायावती और अखिलेश ने बार-बार कहा कि भाजपा ने एक भी मुसलमान को उम्मीदवार नहीं बनाया है। यह दोनों नेता सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि देवबंद जैसे सौ प्रतिशत मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में भाजपा के उम्मीदवार चुनाव जीत जाएंगे। इसलिए चुनाव परिणाम घोषित हो जाने के बाद भी यह नेता भाजपा की जीत को सही नहीं मान रहे हैं। मायावती और अखिलेश का कहना कि ईवीएम में गड़बड़ी हुई है। यानि मुसलमानों ने बसपा और सपा को वोट दिया, लेकिन ईवीएम में भाजपा उम्मीदवार को चला गया। इसलिए इन दोनों ही नेताओं ने चुनाव आयोग से जांच की मांग की है। समझ में नहीं आता कि परिणाम की घोषणा के बाद चुनाव आयोग किसकी जांच करेगा? लेकिन सवाल उठता है कि भाजपा को मुसलमानों के वोट मिलने पर सवाल क्यों उठाया जा रहा है? असल में भाजपा को सम्प्रदायिक पार्टी बताकर सपा, बसपा जैसे क्षेत्रीय दल मुसलमानों के वोट लेते रहे। लेकिन इस बार ऐसे दलों का भ्रम टूट गया। हालांकि यह भ्रम तो 2014 के लोकसभा चुनाव में ही टूट गया था। लेकिन मायावती और अखिलेश यादव का यह मानना रहा कि विधानसभा चुनाव में तो मुसलमान कभी भी भाजपा को वोट नहीं देंगे, क्योंकि मुसलमानों के सामने हमदर्द मायावती और अखिलेश यादव का चेहरा होगा। लेकिन यूपी के मुस्लिम मतदाताओं ने लोकसभा से भी ज्यादा विधानसभा में भाजपा को वोट दिए। असल में अब मुस्लिम मतदाताओं को भी लगने लगा है कि क्षेत्रीय दल सिर्फ इस्तेमाल करने के लिए ही वोट हासिल करते हैं। संभवतया भाजपा को वोट देने में मुस्लिम महिलाओं की भी सकारात्मक सोच रही है। मुस्लिम महिलाएं भले ही तीन तलाक के मुददे पर अपनी जुबान नहीं खोल सकती हों। लेकिन इस प्रथा से उन्हें भी परेशान होना पड़ता है। मायावती और अखिलेश यादव को यह समझना चाहिए कि देश दुनिया के वर्तमान माहौल में किसी भी जाति की महिला दुखी और परेशान नहीं होना चाहती। पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान दो टूक शब्दों में कहा कि तीन तलाक सामाजिक बुराई है। मुस्लिम मतदाताओं ने मोदी के इस नारे पर भी भरोसा किया, सबका साथ, सबका विकास। यूपी चुनाव के परिणाम से पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और बिहार में लालू यादव को भी सावधान हो जाना चाहिए।

Saturday 22 November 2014

About this world means

वैसे ना शरीर तुम्हारी है, न तुम इस शरीर के हो।
यह शरीर , अग्नि ,जल,वायु,पृथ्वी आकाश से बना है।
और इसी में मिल जाएंगा।
बस आत्मा यही रह जाएगी। तो तुम क्यों रोते हो
तुम्हारा क्या है जो तुम रोते हो? तुम क्या लाये थे।
जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया।
जो मिट गया? तुम कुछ लेकर नहीं आये 
जो लिया, यही से लिया । जो दिया यही पर दिया।
जो लिया ,जो लिया, भगवान् से लिया। जो दिया,उसी को दिया खाली हाथ आये , खाली हाथ चले जाओगे।


फिर भी ये सारा जगत परेशान क्यों है।